इजरायल और हमास के बीच लंबे समय तक चली अगर-मगर के बाद सीजफायर हो गया

तेल अवीव

इजरायल और हमास के बीच लंबे समय तक चली अगर-मगर के बाद सीजफायर हो गया है। पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने सीजफायर डील को मंजूरी दे दी है और अब कैबिनेट से भी इसे पारित किया जाएगा। इस मामले में गुरुवार को पसोपेश की स्थिति पैदा हो गई थी, जब नेतन्याहू ने कहा कि अभी सीजफायर नहीं हुआ है। उन्होंने हमास पर अंतिम समय में कुछ शर्तों से पीछे हटने का आरोप लगाया था, लेकिन अब गुड न्यूज आई है। इससे माना जा रहा है कि हमास और इजरायल के बीच संघर्ष विराम समझौता लागू हो जाएगा। कैबिनेट में भी अब इस प्रस्ताव को रखा जाएगा। यह सीजफायर अमल में आया तो मध्य पूर्व में लंबे समय बाद शांति होगी। आइए जानते हैं, हमास और इजरायल के बीच सीजफायर डील में क्या-क्या…

– शुरुआती सीजफायर 6 सप्ताह का होगा। इस दौरान इजरायल की फोर्सेज सेंट्रल गाजा से वापस लौटेंगी। इसके अलावा उत्तरी गाजा में फिलिस्तीनियों की वापसी होगी।

– इस डील के तहत मानवीय सहायता की सामग्री वाले 600 ट्रकों को गाजा में एंट्री की परमिशन दी जाएगी। इनमें से 50 ट्रकों में ईंधन रहेगा।

– हमास के पास अब भी 33 लोग बंधक हैं। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। हमास का कहना है कि वह सीजफायर डील के तहत हर सप्ताह तीन लोगों को छोड़ेगा।

– अपने एक नागरिक के बदले में इजरायल ने 30 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने पर सहमति जताई है।

– सीजफायर का पहला चरण 6 सप्ताह यानी 42 दिन का होगा। इस अवधि में हमास ने हर सप्ताह तीन इजरायलियों को छोड़ने पर सहमति जताई है। वहीं इजरायल सप्ताह में 90 फिलिस्तीनी छोड़ेगा।

– सीजफायर के दूसरे चरण पर वार्ता पहले राउंड के 16वें दिन के बाद से शुरू होगी। इसमें तय होगा कि बचे हुए लोगों को कैसे छोड़ जाएगा। हमास का कहना है कि वह सारे बंधकों को तभी छोड़ेगा, जब इजरायल का एक-एक सैनिक गाजा से निकल जाए।

– तीसरे चरण में सभी शवों को भी वापस लौटाया जाएगा। इसके अलावा गाजा में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस तरह तीन राउंड में सीजफायर की डील पूरी होगी।

आशियाने में मलबे के सिवा कुछ नहीं

हमास और इजरायल के बीच डेढ़ साल से चले आ रहे जंग अब खत्म होने के कगार पर हैं. लाखों विस्थापित गाजा के निवासी अपने घर लौटने को तैयार हैं. मगर जब वे अपने घर पहुंचेंगे तो मलबा और घरों पर लगे मिसाइल और बारूद के काले दाग के धब्बों के सीवा क्या मिलेगा. दरअसल, गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी लोग टेंट शिविरों को छोड़कर अपने घरों में लौटने के लिए उत्सुक हैं.

इजरायली बमबारी और जमीनी अभियानों ने कई शहरों में पूरे पड़ोस को मलबे से भरे बंजर भूमि में बदल दिया है, जहां इमारतों के काले खोल और मलबे के ढेर हर दिशा में फैले हुए हैं. गाजा की मुख्य सड़कों को खोद दिया गया है. पानी और बिजली की बुनियादी ढांचा बर्बाद हो चुके हैं. अधिकांश अस्पताल अब खुद बसहारा पड़े हुए हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि कब या यहां कुछ पुनर्निर्माण किया जाएगा?

350 साल में फिर से बन पाएगा गाजा
हमास-नेतृत्व वाले उग्रवादियों द्वारा बंधकों की रिहाई और चरणबद्ध युद्धविराम के लिए समझौता हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अगर नाकाबंदी जारी रहती है तो पुनर्निर्माण में 350 साल से अधिक का समय लग सकता है. दो-तिहाई अधिक घरे और बुनियादी संरचनाएं नष्ट हो गईं हैं. लड़ाई समाप्त होने के बाद ही नुकसान का आंकलन हो पाएगा. गाजा का सबसे अधिक नष्ट हुआ हिस्सा, उत्तर में, इजरायली बलों द्वारा अक्टूबर की शुरुआत में शुरू किए गए एक अभियान में सील कर दिया गया है. बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित हो गए थे.

इजराइल-हमास जंग में मारे गए 50 हजार लोग

 मौजूदा युद्ध की शुरूआत सात अक्तूबर, 2023 को इजराइल पर हमास के उस हमले से हुई थी, जिसमें करीब बारह सौ लोग मारे गए थे। उसके बाद हमास को जवाब देने के नाम पर इजराइल के गाजा पर हमले को एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया माना गया था। मगर तब से लेकर पंद्रह महीने बीत चुके हैं और गाजा पर इजराइल का हमला लगातार जारी है।

एक आंकड़े के मुताबिक, इजराइल के हमले में अब तक करीब पचास हजार लोग मारे गए हैं। गाजा में बीस लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। इजराइल का कहना है कि वह हमास के आतंक का खात्मा कर देगा। लेकिन यह पड़ताल का मसला है कि इजराइल के हमले में हमास के कितने सदस्य मारे गए और कितने आम लोगों को जान गंवानी पड़ी।

युद्ध में बड़ी संख्या में मारे गए बच्चे और महिलाएं

अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में मारे गए आम लोगों में बड़ी संख्या बच्चों और महिलाओं की है, जिनका युद्ध से कोई वास्ता नहीं था। गाजा पर हमले के क्रम में अस्पताल, स्कूल और हमले से बचने के लिए पनाह लेने वाली जगहों को भी नहीं बख्शा गया। युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों का भी कोई खयाल रखना जरूरी नहीं समझा गया। इस सबके लिए इजराइल पर जनसंहार और वहां के प्रधानमंत्री पर युद्ध अपराध का आरोप भी लगाया गया।

इजराइल और हमास के बीच युद्ध को खत्म कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र से लेकर कई स्तर पर कोशिशें जारी थीं, मगर उसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पा रहा था। अब इतने लंबे समय के बाद अगर युद्धविराम पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन सकी है तो इस बात की कोशिश होनी चाहिए कि अब उसमें कोई अड़चन न खड़ी की जाए, उस पर अमल भी सुनिश्चित किया जाए और शांति निरंतरता में कायम हो।

ऐसी स्थिति फिर नहीं पैदा होनी चाहिए कि एक ओर युद्ध विराम पर सहमति की घोषणा हो और दूसरी ओर हमले और उसमें लोगों का मारा जाना जारी रहे। यह एक स्थापित हकीकत है कि किसी भी समस्या या विवाद का हल अंतहीन युद्ध नहीं हो सकता। संभव है कि इस युद्धविराम से इजराइल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चली आ रही कड़वाहट पूरी तरह खत्म न हो, मगर कितने भी जटिल मसले का हल आखिर संवाद के रास्ते से ही गुजरता है।

 

India Edge News Desk

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